मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्य विभाग

अपनी स्थापना के बाद से ही केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान, राँची सामाजिक एवं व्यवहार विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्टता पूर्वक काम कर रहा है। इस संस्थान में सामाजिक मनोचिकित्सा, मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्य और पुनर्वास के क्षेत्र में अनेक नई तकनीकों को योजनाबद्ध कर उसे क्रियान्वित किया गया है। उस समय में इन नवीन तकनीकों के बारे में सम्पूर्ण भारत वर्ष सहित पूरे एशिया महादेश में किसी भी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा सोचा तक भी नहीं गया था। इन आधुनिक तकनीकों के तहत् इस संस्थान में सन् 1922 में पूर्णरूपेण ‘‘व्यावसायिक चिकित्सा इकाई’’ का संचालन प्रारंभ किया गया, जहाँ मानसिक रूप से बीमार मरीजों के ईलाज हेतु उनके व्यावसायिक कौशल को विकसित करने की व्यवस्था की गई। इस विभाग द्वारा सन् 1929 में मरीजों को रखने एवं उनके संबंधी एवं रिश्तेदारों को पारिवारिक चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल परिसर के बाहर कॉटेज का निर्माण किया गया। व्यावसायिक चिकित्सा इकाई के प्रारंभ होने के साथ ही मरीजों को अच्छे कार्य करने के एवज में उनके उपयोग की कुछ वस्तुएँ पारिश्रमिक के रूप में दिया जाने लगा।

मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्य (पीएसडब्ल्यू) विभाग द्वारा 1960 के दशक के अंतिम चरण में मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को शैक्षणिक व नैदानिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्य में डिप्लोमा (डीपीएसडब्ल्यू) पाठ्यक्रम का संचालन प्रारंभ किया गया। प्रारंभ में संस्थान का यह पाठ्यक्रम सामाजशास्त्र, सामाजिक मानवशास्त्र एवं अन्य सामाजिक विज्ञान के उत्तीर्ण स्नातकोत्तर विद्यार्थीयों के लिए उपलब्ध था। 1990 के दशक में, राँची विश्वविद्यालय द्वारा मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्य में एमफिल (एमफिल इन पीएसडब्ल्यू) पाठ्यक्रम में उत्क्रमित कर दिया गया। संस्थान के सक्रिय सहयोग से मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्य विभाग द्वारा ‘‘इंडियन सोसाईटी फॉर साईकायट्रीक सोशल वर्कर्स’’ की स्थापना की गई जो बाद में ‘‘इंडियन सोसाईटी फॉर प्रोफेशनल सोशल वर्कर्स’’ (आईएसपीएसडब्ल्यू) के नाम से जाना गया}, जो पूरे देश में अपने तरह का पहला संगठन था। इसके पश्चात, देश में मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्य के क्षेत्र में शैक्षणिक, शोध व अनुसंधान तथा नैदानिक संवादों को बढ़ावा देने के लिए ‘‘इंडियन जर्नल ऑफ ईकायट्रीक सोशल वर्क’’ नामक एक जर्नल का प्रकाशन शुरू किया गया।

विभागीय गतिविधियाँ

इस विभाग द्वारा प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य के सभी क्षेत्रों (जैसेः मनोचिकित्सा, नैदानिक मनोविज्ञान, मनोचिकित्सा नर्सिंग एवं अन्य सहायक विषयों) में परस्पर समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यवहार विज्ञान की समग्र परिस्थितियों से परिचित कराने का प्रयास किया जाता हैं। विद्यार्थियों को उनके नैदानिक एवं शैक्षिक कौशल विकसित करने के लिए पर्याप्त विशेषाधिकार एवं अवसर उपलब्ध कराया जाता है। प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं को रोजाना बाह्य मरीजों एवं भर्ती मरीजों के उपचार से संबंधित सभी प्रकार के नैदानिक और चिकित्सीय प्रक्रियाओं को क्रियान्वित करने की जवाबदेही दी जाती है। इस दौरान वे संकाय सदस्यों की प्रत्यक्ष देख-रेख में मानसिक रूप से बीमार मरीजों के लिए परिवार एवं समुदाय आधारित चिकित्सीय सेवाएँ प्रदान करना सीखते हैं।

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