बाह्य रोगी विभाग (ओ.पी.डी.) एवं आपातकालीन सेवाएँ

संस्थान का बाह्य रोगी विभाग (ओ.पी.डी.) सन् 1982 से अस्पताल परिसर के बाहर एक दोमंजिले इमारत में स्थित है। यह ओ.पी.डी. अवकाश के दिनों को छोड़कर सुबह 08.30 बजे से शाम 04.00 बजे तक कार्य करता है। यह संस्थान झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और उत्तर-पूर्वी राज्यों के मरीजों की जरूरतों को पूरा करता है। नेपाल और बंग्लादेश देश जैसे पड़ोसी देशों के मरीज भी यहाँ परामर्श के लिए आते हैं। यह केन्द्र सरकार, रेवले, सी.सी.एल., बी.सी.सी.एल., सेल आदि के लिए मानसिक स्वास्थ्य का एक अधिकृत केन्द्र है। ओ.पी.डी. ब्लॉक में मरीजों के खाने-पीने के लिए कैंटीन की सुविधा उपलब्ध है। संस्थान परिसर में ओ.पी.डी. ब्लॉक के निकट मरीजों के लिए एक सुलभ शौचालय खोला गया है। 

पंजीकरण एवं मूल्यांकन की प्रक्रियाः

उपचार हेतु पंजीयन के लिए रोगी को सर्वप्रथम पंजीयन काउंटर के पास स्वयं को पंजीकृत कराना होता है जो ओ.पी.डी. भवन के मुख्य द्वार के पास स्थित है। पंजीकरण के लिए कोई शुल्क नहीं है। एक बार पंजीकृत होने के बाद मरीज को एक पंजीयन कार्ड जारी किया जाता है, जिसमें सी.आर.एफ. नम्बर अथवा यूनिक नम्बर दर्ज रहते है। इसके अलावा पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान व्यक्तिगत और सामाजिक जनसांख्यिकीय विवरण नोट किया जाता है।

एक बार पंजीकरण हो जाने के बाद कनिष्ठ चिकित्सक के द्वारा मरीज की बीमारी से संबंधित विस्तृत आँकड़े एकत्र किये जाते हैं और उसे केस रिकॉर्ड फाईल में उचित प्रारूप में दर्ज किया जाता है। तत्पश्चात मरीजों के उचित प्रबंधन एवं उपचार के लिए वरिष्ठ चिकित्सकों से विचार-विमर्श किया जाता है। पहले दिन यह संपूर्ण प्रक्रिया लगभग 2-3 घंटों की होती है। यदि किसी मरीज को मनोवैज्ञानिक प्रबंधन (साईकोलॉजिकल मैनेजमेंट) की सलाह दी जाती है तो उसे एक अन्य ब्लॉक (मनोसामाजिक इकाई) में जाना होता है जो ओ.पी.डी. की मुख्य भवन से कुछ ही दूरी पर अवस्थित है, जहाँ पर मरीज का आवश्यक उपचार प्रारंभ किया जाता है।

फॉलो - अप की प्रक्रियाः

फॉलो-अप उपचार के लिए मरीज को उसी दिन और उसी यूनिट में आना चाहिए जो उनके पंजीयन कार्ड में दर्ज किया गया है। आपात स्थिति में मरीज अपनी सुविधानुसार ईलाज के लिए कोई दूसरा दिन भी चुन सकते हैं। संस्थान में फॉलो-अप उपचार के लिए भी मरीज को पूर्व की भांति उसी प्रक्रिया से गुजरना होता है। पंजीयन काउंटर के पास उसे अपने पूर्व के पंजीयन संबंधी विवरण देने होते हैं। मरीज को एक टोकन नम्बर दिया जाता है एवं उसके नाम की सूची सूचना पट्ट पर प्रदर्शित कर दिया जाता है। उसके बाद मरीजों और उनके अभिभावकों को परामर्श के लिए निर्दिष्ट कमरे के बाहर इंतजार करना पड़ता है। जिन लोगों को बाद में आउट पेशेंट उपचार की सलाह दी जाती है उन्हें इलाज के लिए प्रत्येक बार इसी प्रक्रिया का पालन करना होगा। मरीजों को आवश्यकता के अनुसार नीचे दी गई प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।

भर्ती मरीजों के उपचार की प्रक्रियाः

एक बार अस्पताल भर्ती होकर उपचार की सलाह दिए जाने के बाद मरीज को ओ.पी.डी. भवन के मुख्य द्वार के पास भूमि तल पर स्थित कक्ष संख्या 01 में रिपोर्ट करना पड़ता है। मरीज को कक्ष संख्या 01 में दिए गए सलाह का पालन करना होता है और निर्देशानुसार पैसों को नगद काउंटर में जमा करना होता है।

संस्थान में मनश्चिकित्सा से संबंधित विभिन्न यूनिट और विशेष क्लिनिक की सूची इस प्रकार हैः

क्र.सं. विभाग/क्लीनिक यूनिट का नाम/क्लीनिक प्रभारी दिन
1 मनश्चिकित्सा यूनिट I एवं I I सोमवार और वृहस्पतिवार
2 मनश्चिकित्सा यूनिट I I एवं V मंगलवार और शुक्रवार
3 मनश्चिकित्सा यूनिट III एवं VI बुधवार और शनिवार
4 नशा विमुक्ति क्लिनिक डॉ. सी.आर.जे. खेस और डॉ. एस.के. मुण्डा बुधवार और शनिवार
5 बाल मार्गनिर्देशन क्लिनिक डॉ. निशांत गोयल सभी कार्यदिवस
6 मिरगी एवं मूवमेंट डिस्आॅर्डर क्लिनिक डॉ. निशांत गोयल वृहस्पतिवार
7 मूड क्लिनिक डॉ. डी. राम सोमवार
8 न्यूरोलॉजी क्लिनिक डॉ. बासुदेब दास सोमवार
9 निद्रा क्लिनिक डॉ. डी. राम मंगलवार
10 क्रोनिक सिजोफ्रेनिया क्लिनिक डॉ. सी.आर.जे. खेस और डॉ. एस.के. मुण्डा बुधवार
11 सेक्स क्लिनिक डॉ. एस.के. मुण्डा बुधवार
12 चर्म क्लिनिक डॉ. अरविन्द कुमार बुधवार
13 तम्बाकू निवारण क्लिनिक डॉ. सी.आर.जे. खेस और डॉ. एस.के. मुण्डा बुधवार और शनिवार
14 मेटाबोलिक क्लिनिक डॉ. सी.आर.जे. खेस और डॉ. एस.के. मुण्डा बुधवार और शनिवार
15 बुजुर्ग चिकित्सा क्लिनिक डॉ. डी. राम और डॉ. निशांत गोयलl शुक्रवार
16 सिरदर्द क्लिनिक डॉ. सी.आर.जे. खेस शनिवार

आपातकालीन सेवाएँ

यह अस्पताल मानसिक रूप से बीमार मरीजों के लिए चैबीसों घंटें आपातकालीन सेवाएँ प्रदान करता है। ओ.पी.डी. में एक आपातकालीन वार्ड है, जो 16 बिस्तर (08 पुरूष एवं 08 महिला) क्षमता का है। यहाँ दी जानेवाली सेवाएँ निःशुल्क है। सिर्फ दवाओं और भोजन का खर्च मरीज के साथ रह रहे अभिभावकों को वहन करना पड़ता है। आपातकालीन वार्ड में रहने तक अभिभावकों को मरीज के साथ रहने की आवश्यकता होती है। आपातकालीन वार्ड में तात्कालिक उपचार के बाद मरीज को छुट्टी दे दी जा सकती है या किसी चिकित्सीय जाँच हेतु दूसरी जगह भेजा जा सकता है। मरीज की स्थिति के आधार पर उसे अस्पताल में भर्ती भी किया जा सकता है। ओ.पी.डी. में चैबीसों घंटे टेलिफोन हेल्पलाईन सेवा की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है। टेलिफोन हेल्पलाईन पर कार्यरत नर्सें और प्रशिक्षित चिकित्सक कॉल करने वालों की समस्या सुनकर स्थिति के अनुसार अपनी बहुमूल्य सलाह देते है। नीचे दिए गये सम्पर्क नम्बरों से आवश्यक जानकारी और सहायता प्राप्त की जा सकती है।

टाल फ्री नम्बर: 1800-345-1849 (24 घंटे हेल्पलाईन नम्बर)
दूरभाष संख्या: 0651-2451115; 0651-2450822
ई-मेल: director(at)cipranchi(dot)nic(dot)in

Gallery

No Image !!!