बाल एवं किशोर मनश्चिकित्सा केन्द्र

केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान में बाल एवं किशोर मनश्चिकित्सा इकाई पिछले 55 वर्षों से अस्तित्व में है और तब से यह बाल मनोचिकित्सा के क्षेत्र में मरीजों को गुणवत्तायुक्त देख-भाल प्रदान करने, अनुसंधान के क्षेत्र में एवं स्नातकोत्तर प्रशिक्षुओं और शोध छात्रों को आवश्यक शिक्षा प्रदान करने में संस्थान का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। प्रारंभ में यह विभाग बाल मार्गदर्शन क्लीनिक के नाम से शुरू किया गया। बाद में सन् 2012 में एक प्रख्यात स्वीस मनोचिकित्सक डॉ. एर्ना हॉक, जिन्होंने अपना सारा समय कश्मीर में बच्चों की देखभाल में बिताया, के नाम पर इस क्लीनिक का नाम डॉ. एर्ना हॉक बाल एवं किशोर मनोचिकित्सा केन्द्र रखा गया। संस्थान के निष्ठावान लोगों की कार्यकुशलता, दूरदर्शिता एवं कड़ी मेहनत से यह विभाग विकास की ओर अग्रसर है एवं बाल एवं किशोर मनोचिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। बाल मार्गदर्शन क्लीनिक पहली बार 1950 में केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान द्वारा तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक डॉ. (मेजर) आर.बी. डेविस की पहल पर सदर हॉस्पिटल, राँची में शुरू किया गया। प्रारंभ में, बाल मार्गदर्शन क्लीनिक में आम लोगों ने कम रूचि दिखाई, जिसके कारण संत जेवियर स्कूल, राँची में साप्ताहिक दौरा करने का मार्ग प्रशस्त हो सका।

बाल मनोचिकित्सा वर्षों से एक अलग व्यवस्था के रूप में विकसित हुआ है जो बच्चों के बाल्यावस्था से किशोरावस्था में जाने के दौरान उनके जीवन में आने वाले विभिन्न परिवर्तनों और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का समाधान करता है। प्रारंभ में बाल मार्गदर्शन क्लीनिक के रूप में शुरू किया गया यह विभाग अब पूर्ण रूप से बाल एवं किशोर मनश्चिकित्सा इकाई के रूप में कार्यरत है। केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान, राँची में बाल मनश्चिकित्सा एक महत्वपूर्ण व्यवस्था के रूप में संचालित है। संस्थान परिसर में स्वतंत्र रूप से सन् 1975 में 50 बिस्तरों का बाल मनोचिकित्सा इकाई प्रारंभ किया गया। बाद में मानसिक मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण इसके मूल भवन को बाह्य रोगी विभाग में परिवत्र्तित कर दिया गया। परन्तु पुनः बाल एवं किशोर मरीजों के मानसिक प्रबंधन हेतु 11 कमरों का एक अलग भवन इस विभाग के लिए बनाया गया। इस भवन में मरीजों के लिए कुल 12 बिस्तर हैं। इसके अलावा तीन कॉटेज भी हैं, जिनमें अभिभावकों के साथ प्रत्येक कॉटेज में चार मरीजों को रखा जा सकता है। इस तरह इस विभाग की कुल बिस्तर क्षमता 24 मरीजों की है, जो हमेशा भरे रहते हैं। इस विभाग में डॉक्टर कक्ष एवं नर्सिंग कक्ष के अलावा बच्चों के खेल-कूद एवं मनोरंजन के लिए भी एक कमरा है। विभागीय भवन के चारों ओर खुले स्थान में बच्चों को खेलने के लिए पर्याप्त स्थान है। यहाँ फूलों के बगीचों के अलावा बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के झूले लगे हुए हैं। इस वार्ड के मरीजों का प्रबंधन एक क्लीनिकल टीम द्वारा किया जाता है, जिसमें दो परामर्शी मनोचिकित्सक, एक परामर्शी नैदानिक मनोविज्ञानी, एक मनोविज्ञानी, एक मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्य परामर्शी, एक विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी, दो वरिष्ठ आवासीय चिकित्सक, चार कनिष्ठ आवासीय चिकित्सक, तीन नैदानिक मनोविज्ञानी, एक पी.एचडी.

 

यहाँ सभी भर्ती मरीजों के प्रबंधन में एक बहुआयामी दृष्किोण का पालन किया जाता है। बाल एवं किशोर मरीजों में आमतौर पर सिजोफ्रेनिया, ओसीडी, मानसिक मन्दता, ऑटिज्म, भावनात्मक विकार, मादक द्रव्य सेवन संबंधी विकार, सीखने की अक्षमता, आत्मकेन्द्रित विकार एवं अतिसक्रियता से संबंधित विकार परिलक्षित होते हैं। इस यूनिट में भर्ती सभी मरीजों का व्यापक मूल्यांकन किया जाता है और उचित देखभाल प्रदान की जाती है। बच्चों के उपचार की अवधि के दौरान उनके माता-पिता को भी साथ रहने की आवश्यकता होती है। दवाईयों के अलावे मरीजों के उपचार में विभिन्न प्रकार के साईकोथेरपी, बिहैवियर थेरपी एवं फैमिली थेरपी इस्तेमाल में लाए जाते हैं। वार्ड में भर्ती मरीजों को नियमित रूप से व्यायाम और योग का अभ्यास कराया जाता है एवं बाह्य एवं आंतरिक खेल-कूद में शामिल किया जाता है। यह यूनिट मनोचिकित्सा में एमडी और डीपीएम करने वाले आवासीय चिकित्सकों और बाल एवं किशोर मानसिक स्वास्थ्य मनोविज्ञान तथा मनश्चिकित्सीय सामाजिक कार्यकर्ता के स्नातकोत्तर छात्रों एवं मनश्चिकित्सा नर्सिंग के छात्रों को प्रशिक्षण भी देता है। इसके अलावा, इस यूनिट द्वारा अन्य संस्थानों से आने वाले छात्रों और नर्सों को भी प्रशिक्षण दिया जाता है। यह यूनिट विभिन्न पत्रिकाओं और पुस्तकों में वैज्ञानिक प्रकाशन के लिए महत्वपूर्ण योगदान देता है।

पहल क्लब

संस्थान में इस केन्द्र के अंतर्गत खेल कक्ष एवं बहुसंवेदी कक्ष की रूप रेखा 15 अगस्त, 2014 को तैयार की गई। इसका उद्देश्य एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना था, जहाँ अशक्त बच्चों की संवेदनशील आवश्यकताओं का प्रबंधन किया जा सके और उनकी उत्तेजनाओं का सामायोजन किया जा सके। इस प्रकार की अवधारणा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के कौशल को बेहतर बनाने में मदद करता है। साथ ही, उनके विभिन्न संवेदी उत्तेजनाओं को नियंत्रित भी करता है। यहाँ प्रत्येक दिन सुबह में बच्चों को खेल कक्ष एवं बहुसंवेदी कक्ष में ले जाया जाता है और उन्हें उनके लिए विशेष रूप से डिजाईन की गई विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में शामिल किया जाता है। यह छात्रों को अशक्त बच्चों के साथ काम करने का अनुभव प्रदान करता है और साथ ही इस पूरे प्रक्रिया में सभी बच्चे आनन्द का अनुभव उठाते हैं। इस क्षेत्र में और ज्यादा समझ और ज्ञान विकसित करने के लिए विभिन्न प्रकार के शोध भी किए जा रहे हैं।

बहुसंवेदी कक्ष एवं खेल कक्ष

संस्थान में इस केन्द्र के अंतर्गत खेल कक्ष एवं बहुसंवेदी कक्ष की रूप रेखा 15 अगस्त, 2014 को तैयार की गई। इसका उद्देश्य एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना था, जहाँ अशक्त बच्चों की संवेदनशील आवश्यकताओं का प्रबंधन किया जा सके और उनकी उत्तेजनाओं का सामायोजन किया जा सके। इस प्रकार की अवधारणा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के कौशल को बेहतर बनाने में मदद करता है। साथ ही, उनके विभिन्न संवेदी उत्तेजनाओं को नियंत्रित भी करता है। यहाँ प्रत्येक दिन सुबह में बच्चों को खेल कक्ष एवं बहुसंवेदी कक्ष में ले जाया जाता है और उन्हें उनके लिए विशेष रूप से डिजाईन की गई विभिन्न प्रकार की

गतिविधियों में शामिल किया जाता है। यह छात्रों को अशक्त बच्चों के साथ काम करने का अनुभव प्रदान करता है और साथ ही इस पूरे प्रक्रिया में सभी बच्चे आनन्द का अनुभव उठाते हैं। इस क्षेत्र में और ज्यादा समझ और ज्ञान विकसित करने के लिए विभिन्न प्रकार के शोध भी किए जा रहे हैं।

इस अवधारणा के तह्त उपलब्ध सुविधाओं में रेत पीट, बॉल पीट, संवेदी टेंट, स्पर्शनीय साँचे, दर्पण और विभिन्न प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं। मानसिक मंद बच्चों, ऑटिज्म एवं अन्य विकास संबंधी विकार वाले बच्चों के लिए कई प्रकार के विशिष्ट उपचारों का प्रावधान है, जिसमें बहुसंवेदी उत्तेजना थेरपी, संवेदी एकीकरण थेरपी, अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम, स्वयं सहायता कौशल प्रशिक्षण तथा सामाजिक एवं संचार कौशल प्रशिक्षण शामिल है। गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और दीपावली जैसे विभिन्न अवसरों पर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें भर्ती मरीज बच्चे सक्रियता से भाग लेते हैं।


 

Sr No Name Designation
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